2-Shree Krishna killed Putna in hindi



गोकुल मै नन्द के द्वारे बधाई चल रही थी  सभी बृजबासी कृष्ण (Krishna)  के जन्म का आनंद ले रहे और नन्द  बाबा के साथ सभी बृजबासी पालना मै  लैटे मेरे कन्हैया को झूला रहे है , और तभी योग माया ने कंस से कहा तुझे मारने बाला गोकुल मैं जन्म ले चुका है,और कंस यह सुनकर भयभीत हुआ तभी पूतना (PUTNA) को बुलाया और Mathura से गोकुल जाने का आदेश दिया और कहा कि उस बालक को उठाओ और खत्म करदो, 

पूतना ने आदेश का पालन करते हुए आकाश के मार्ग से गोकुल मै एक सुन्दर नारी के भेष बनाकर  और अपने इस्तनो  पर ज़हर लगा कर  बाबा नन्द के घर (Ghar) गोकुल मै पहुँच जाती, जहां  मेरे Krishna पालना मै झूल रहे थे,माँ यसोदा से कहती मैया मे तेरे बालक को देखना चाहती हू ,माँ यशोदा पूछती हैं तू कहा रह गयी थी इतने दिनों से पूतना बोलती है मइया मै  अपने पिता के घर गयी थी ,इतना सुन कर बृजरानी माँ यशोदा krishan लाला को पूतना को दे देती,जैसे मेरे कन्हैया ने पूतना को देखा और आँख बन्ध कर ली और उसके इस्तनो से दूध का आनन्द लिए जा रहे है और PUTNA चिलाती है कि छोड़ो -छोड़ो, तभी पूतना को मेरे प्रभु के रूप मै भगवान विष्णु के साख्यात दर्शन होते है और हमेश के लिए रख्यास योनि उद्धार हो जाता है |


शंकटासुर वध in Gokul:-

जब Shree Krishan सत्ताईस दिन के हुए तब बाबा नन्द जी ने सब ब्राह्मणों और ब्रजवासियों को न्योता भेज दिया वे आये जिन्हें आदर-मान देकर बैठाया और ब्राह्मणों को बहुत-सी गाय दान को दान दिया और आदर सम्मान के साथ विदा किया और  सभी बृजबासी खाना खाने लगे  उस समय यशोदा रानी परोसती थी, रोहिणी टहल करती थी, ब्रजवासी हंस-हँस खा रहे ये, गोपियाँ मधुर गीत गा रही थीं सब आनन्द से ऐसे मगन  थे कि Shree Krishan एक भारी छकड़े के नीचे पालने में अचेत सोये थे कि इतने मेँ भूखे हो जगे तो पॉव का अँगूठा मुँह मेँ दे रोने लगे और हिलक हिलक चारों ओर देखने, उसी अवसर मेँ ऐसा हुआ कि एक राक्षस आ निकला Shree Krishan को देख अपने मन में कहने लगा कि, यह तो कोई बडा बली बालक है पर आज मेँ इससे पूतना का वैर लूंगा । ऐसा मन मेँ ठान शकटमेँ आ बैठा,

उसी से उसका नाम शंकटासुर हुआ, जब गाढा चरचराय कर हिला तब  Shree Krishan ने बिलखते विलखते एक ऐसी लात मारी कि वह मर कर कंस की सभा मथुरा जाकर गिरा |

और कंस देख कर बड़ा दुखित हुआ  इधर पालना  टूक`टूक हो गिरा और दूध-दही के जितने बासन थे सब फूट चूर-चूर हो गये  टूटने और फूटने का आवाज सुन कर सभी बृजबासी और  सब गोपी ग्बाल दौड़ आये आते ही  यसोदा जी ने Krishan को उठाय मुँह चूम छातीसै लगा लिया, यह अचरज देख सब आपस में कहने लगे कि आज ईश्वर ने बडी कृपा की जो बालक बच गया और खली संकट ही  टूटा |






 

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