3-Shree krishna makhan chori leela -1
भगवान Shri Krishna ने ब्रिज मे जन्म लेने के बाद बहुत सारी अनेको लीलाये की है जिसमे से एक लीला है माखन चोरी | तो आईये जानते है क्या है माखन चोरी Leela और भगवान श्री कृष्ण ने kyo की माखन चोरी |
तो बताना चाहूँगा भगवान shri Krishna और बाबा नन्द के घर माखन की कोई कमी नहीं थी उनके घर एक लाख गऊ थी पर भगवान माखन चोरी इसलिए की क्योकि ब्रिज गोपियाँ भगवान से बहुत प्रेम करती थी और भगवान अपनी Leela के माध्यम से गोपियों को प्रेम देना चाहते थे |
भगवान श्री कृष्ण थोड़े बड़े हो जाते है तो उन्होने एक सखाओ की टोली बनायीं थी जो भगवान के साथ माखन चोरी करते थे | उनके सखा थे १ (मनुष्का) २ (दामा) ३ (तोसन) ४ (सुनकिन ) ५ (मदना)
एक दिन भगवान श्री Krishna अपने सभी सखाओ के साथ माखन चोरी की योजना बनाते है और सभी सखाओ के साथ शीला भाबी के घर पहुंच जाते है और श्री कृष्ण देखते है शीला भाबी तो सर पर मटकी रख के पानी लेने गयी थी | और शीला भाबी माखन की मटकी ऊपर रख गयी थी मनसुख कहते श्री krishna से Gopi माखन की मटकी ऊपर रख के चली गयी लो खालो Makhan तो shree krishna कहते है साखो माखन तो खाएंगे भईया मनसुख कहते कैसे तो भगवान कहते तुम निचे लग जाओ और मै ऊपर से मटकी से माखन निकाल लूगा और इसी तरह से सभी लोगो ने Makhan खाया तभी शीला आ जाती है और माखन खाते Shee Krishna को देखती माँ यसोदा से शिकायत कर आती है |
एक दिन Shree Krishan और बलराम सखाओं के साथ रेत मै खेल रहे थे ,खेलते खेलते Krishan ने मिट्ठी खाली तो एक सखाने यशोदसे माता से कन्हैया की शिकायत कर आते है
यह सुनकर यशोदा रानी बहुत ही क्रोदित हो जाती है ,और हाथ मेँ छडी लिए कन्हैया की और चल पड़ती है । माँ यसोदा को आते देख कन्हैया मुँह साफ कर डरकर खडे हो जाते है माता यशोदा ने आते ही कहा क्योंरे ? तूने मिट्टी क्यो खाईं ?
कृष्ण डरते-काँपते बोलै-माता! तुमसे किसने कहा वो बोली तेरे सखाने । तब कन्हैया सखा से पूछ्ते है क्यों रे मैंने कब मिट्ठी खायी सखा डर गया और बोला मै नहीं जानता क्या कहूँ,जब कन्हैया सखा से बात करने लगे तब ही माँ यशोदा ने मेरे कन्हैया को पकड़ लिया, वहॉ कृष्ण कहते मैया तू ही बता कहीं मनुष्य मिट्टी खाते है तो माँ यसोदा बोली मै तेरी अट -पटी बात नहीँ सुनती जो तूसच्चा है तो अपना मुख दिखा,
ज्योंही कृष्ण ने मुख खोला त्योंही उसमें तीन लोक दृष्टि दिखायी दी । तब यशोदा को ज्ञान हुआ तो मन मेँ कहने लगी कि, मैं बडी मूर्ख हूँ जो त्रिलोकी नाथ को अपना सुत मानती हूँ। तब नन्दरानी ने ऐसा जाना । तब हरिने जगत्-मोहिनी माया फैला दी तो इतने मै मोहन को यशोदा प्यार कर कण्ट से लगाय घर लै आई ।
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